ब्यूरो – सुषमा ठाकुर
नोएडा। केंद्र सरकार के वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अन्तरिम बजट पेश किय। बजट से व्यापारियों को न तो फायदा हुआ और न ही नुकसान हुआ।
उत्तरप्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल, नोएडा इकाई की अध्यक्ष नरेश कुच्छल ने बजट को सामान्य बजट बताया। कहा कि इस बजट से व्यापारियों को टैक्स स्लैब में कोई राहत नहीं दी गई है।
उन्होंने कहा, व्यापारियों को अंतरिम बजट से काफी उम्मीद थी। जीएसटी प्रक्रिया आसान होने की आशा भी थी। मगर, जीएसटी प्रक्रिया आसान नहीं हुई। साथ ही व्यापारियों को टैक्स स्लैब में छूट नहीं मिली है। साथ ही बजट में एमएसएमई के लिए कोई प्रत्यक्ष घोषणा नहीं रही।
उन्होंने बताया कि आयकर छूट 7 लाख तक पूर्ण टैक्स मुक्त किए जाने 1 लाख करोड़ के ब्याज मुक्त ऋण हेतू फंड बनाए जाने से नये उद्यमियों और व्यापारियों को प्रोत्साहन मिलेगा। व्यापारियों की सुगमता के लिए 2009/ 2010 तक बकाए 25000/ तथा 2010 से 2014 तक 10000/ डायरेक्ट टैक्स की मांग को समाप्त किया गया। रेल विभाग ने 40000 बोगियों को वन्दे भारत की तज पर आधुनिक किया जाना 30 करोड़ मुद्रा लोन दिया जाना व्यापार को बढ़ावा देने वाला है।
उन्होंने बताया कि लोकसभा चुनाव के चलते व्यापारियों एवं आम जनता को अंतरिम बजट में भी लोक लुभावना घोषणाओ की उम्मीद थी, किंतु सरकार ने इसे अंतरिम बजट के रूप में ही पेश किया जो कि कहीं ना कहीं सरकार की गंभीरता और रिपीट होने के आत्म विश्वास को दर्शाती है। उन्होंने कहा सीधे तौर पर व्यापारियों के लिए कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं हुआ किंतु व्यापारियों को उम्मीद है, नई सरकार बनने के बाद नए वित्त मंत्री व्यापारियों एवं उद्योगों को भी अपनी प्राथमिकता में शामिल करेंगे, क्योंकि युवा किसान महिला गरीब के साथ-साथ व्यापार उद्योग को प्राथमिकता में रखने से ही देश की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियंन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में सहायता मिलेगी।
उन्होंने कहा, इनकम टैक्स में 5 प्रतिशत और 20 प्रतिशत के बीच 10 प्रतिशत का टैक्स स्लैब वापस लाया जाना चाहिए था। मीडिल क्लास की चिंता है कि 9 साल से इनकम टैक्स में छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये ही बनी हुई है, इसको 5 लाख करना चाहिए था। वहीं, कार्पोरेट्स एवं बड़ी कंपनियों को बैंक लोन 8 – 10% की ब्याज दर से मिल जाता है. लेकिन मीडिल क्लास और छोटे व्यापारियों के लिए केन्द्र सरकार की जो मुद्रा योजना है, उसमें उनको कहीं ज्यादा ब्याज देना पड़ता है, इसको लेकर बजट में कोई घोषणा नहीं की गई है। सरकार को पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाकर या पेट्रोलियम कंपनियों पर दवाब बनाकर पेट्रोल डीजल की दरों में कटौती करनी चाहिए थी। इसके अलावे जीएसटी में बहुत सारे कठिन कानूनों और नियमों को लेकर भी कोई रियायत नहीं दी गई है।
उन्होंने कहा, व्यापारी वर्ग भारत का सबसे बड़ा टैक्स पेयर है। बाजारों का आधुनिक सुविधाओं के साथ पुनः विकास किया जाना चाहिए। विदेश के बाजारों की तर्ज़ पर यहां पर भी बड़े बदलाव करने चाहिए। सरकार को छोटे और मध्य व्यापारी वर्ग के लिए पुनः विचार करना चहिए।