Friday, September 20, 2024
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गणतंत्र का मतलब “अपना तंत्र” – नरेश कुच्छल

ब्यूरो- सुषमा ठाकुर

नोएडा ।  देश के 74 वें गणतंत्र दिवस पर उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल नोएडा इकाई के सौजन्य से सेक्टर – 5 हरौला स्थित राजवंशी ट्रेडर्स पर अध्यक्ष नरेश कुच्छल व महामंत्री दिनेश महावर ने झंडोत्तोलन किया।
इस मौके पर प्रतिनिधि मंडल के अध्यक्ष नरेश कुच्छल ने कहा कि गणतंत्र का सीधा अर्थ है ‘अपना तंत्र’। मतलब हर तरह की अपनी व्यवस्था जिसके अन्तर्गत देश में रहने वाले लोगों की भलाई की जा सके। इसमें नागरिकों के विकास और देश के नेतृत्व के लिये अपना नेता स्वयं चुनने की आज़ादी भारतीय संविधान द्वारा दिया गया सर्वोच्च उपहार है।

उन्होंने कहा, यह उपहार हमें आसानी से और मुफ्त में नहीं मिला है, बल्कि इसके लिए लाखों-करोड़ों महापुरुषों ने अपनी जान की बाजी लगाई है। अंग्रेजों के लंबे गुलामी काल से मुक्ति दिलाने और भारत में “पूर्ण स्वराज” के लिये हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों ने बहुत संघर्ष किया, जिसके बारे में समझ पाना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन भी है। उन्होंने अपने प्राणों की आहूति दी, जिससे आने वाली पीढ़ी आज़ादी की हवा में सांस ले सके और देश को आगे लेकर जाए। यह उन्हीं का बलिदान है कि भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र है और उसके पास अपना संविधान है।

प्रतिनिधि मंडल के चेयरमैन रामअवतार सिंह ने बताया कि यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि अगर चंद्रशेखर आज़ाद, सरदार भगत सिंह, महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस जैसे नरम – गरम सेनानियों ने आज़ादी आंदोलन का नेतृत्व नहीं किया होता तो हम आज आराम से बैठने की बजाय किसी अँग्रेज़ के घर पर उसका टॉयलेट साफ़ कर रहे होते। न केवल गुलामी काल में, बल्कि आज़ादी के बाद डॉ. अम्बेडकर, सरदार पटेल जैसे हमारे महापुरुषों ने जिस सार्थकता से हमारे देश को राह दिखाई, वह स्वयं में अद्वितीय है। हमारे संविधान ने हमें इतने अधिकार दिए हैं, जिससे यहाँ रहने वाले एक सौ तीस करोड़ नागरिकों का भविष्य सुरक्षित रह सके।

उन्होंने कहा कि हालांकि, इतनी सुविधाओं के बाद हमने क्या किया? यह सोचने पर बेहद अजीब अनुभूति होती है। आजादी के इतने साल गुजर जाने के बाद संविधान की सुविधा होते हुए क्या हमें अपने कार्यों पर गर्व करना चाहिए ? शायद नहीं ! बल्कि हमें तो शर्म आनी चाहिए कि जिन वीरों ने भारत देश के लिए प्राण न्यौछावर करने में एक बार भी न सोचा, उस देश की हालत हमने क्या कर दी है ? हम अभी भी अपने देश में अपराध, भ्रष्टाचार और हिंसा (आतंकवाद, बलात्कार, चोरी, दंगे, हड़ताल आदि के रुप में) से बुरी तरह पीड़ित हैं। इससे भी बड़ी विडम्बना यह है कि समाज के लोग इन अपराधों पर चुप्पी साधे बैठे रहते हैं। अच्छे लोगों की चुप्पी से अपराधियों का हौंसला बढ़ता जाता है और नतीजा यह होता है कि हम एक बदनाम देश के रूप में कुख्यात हो जाते हैं।
इस झंडोत्तोलन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महामंत्री दिनेश महावर ने कहा, हम उन्हीं भगत सिंह के वंशज हैं, जिन्होंने हमारे लिए फांसी का फंदा अपने गले में सहर्ष डाल लिया था। वैसे भी ये कोई अनोखी घटना नहीं है, बल्कि अब तो यह आम सा हो चला है। हम भूल चुके हैं कि एक बेहतर राष्ट्र का निर्माण तभी संभव होगा, जब उसमें रहने वाले लोग मन से सुन्दर होंगे, चरित्रवान होंगे और लोगों को चरित्रवान बनाने का काम एक स्कूल या किसी संस्था मात्र के द्वारा ही संभव नहीं है, बल्कि इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक होना होगा।
उन्होंने ने कहा कि परिवार में बच्चे के पैदा होने से लेकर बड़ों को भी हर जगह उसे महिलाओं का सम्मान करना सिखना होगा, तभी हम सिर उठाकर दुनिया में चल सकते हैं।
इस मौके पर प्रतिनिधि मंडल के अध्यक्ष नरेश कुच्छल, चेयरमैन रामअवतार सिंह, वरिष्ठ महामंत्री मनोज भाटी, महामंत्री दिनेश महावर, महामंत्री संदीप चौहान व सत्यनारायण गोयल, ज्योतिषाचार्य केशवपंडित, कोषाध्यक्ष मूलचंद गुप्ता, सोहनवीर, कपिल भाटिया, सुधीर, महेंद्र गोयल, महेंद्र कटारिया, पीयूष वालिया, सुभाष त्यागी, राधेश्याम गोयल, बृजमोहन राजपूत बृजमोहन यादव, अनिल गर्ग, मनीष चौहान, अंकित कौशिक, ओमपाल शर्मा, विनीत शर्मा, वीरपाल बाली सहित अनेक व्यापारी गण आदि उपस्थित थे।

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