Friday, September 20, 2024
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अखिल भारतीय बसंती कवि सम्मेलन में हुआ ‘वो लम्हे’ उपन्यास का विमोचन

ब्यूरो  – सुषमा ठाकुर 

नोएडा।    साहित्य वेलफेयर कल्चरल एंड स्पोर्ट्स फेडरेशन'(पंजी०) के तत्वावधान में ‘राष्ट्रीय कवि पंचायत मंच’ के बैनर तले बसंत पंचमी के पावन अवसर पर भव्य बसंती कवि सम्मेलन का आयोजन एवं साहित्यकारों को समर्पित ‘शब्दावली दर्पण न्यूज़’ पोर्टल चैनल का उद्घाटन बरौला, सेक्टर  -49, नोएडा स्थित साहित्य सदन के काव्य भवन में मुख्य अतिथि डीडीआरडब्लूए अध्यक्ष ठा० एन पी सिंह द्वारा फीता काटकर किया गया। कवि सम्मेलन में दिल्ली, एनसीआर, बदायूं, कन्नौज, अयोध्या, कुशीनगर, हिमाचल ,जबलपुर (मध्य प्रदेश) के लगभग दो दर्जन कलमकारों ने अपनी भव्य प्रस्तुति से सभागार में उपस्थित सभी गणमान्य लोगों एवं श्रोताओं का मन मोह लिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व प्राध्यापक विभूति कुमार सक्सेना ने की, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में डीडीआरडब्लूए के अध्यक्ष ठा० एन पी सिंह रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में कांग्रेस प्रवक्ता राजेश यादव, अंतर्राष्ट्रीय शायर व न्यूज़ 18 उर्दू के एडिटर इन चीफ तहसीन मुनव्वर, लोकमंच महासचिव महेश सक्सेना, भारतीय किसान यूनियन (भानू) के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ठाकुर किरणपाल सिंह मौजूद रहे। कार्यक्रम की अति विशिष्ट अतिथि देश का गौरव, नारी शक्ति की प्रतीक अन्तर्राष्ट्रीय टेबल टेनिस खिलाड़ी गोल्ड मेडलिस्ट प्रियंका अरोड़ा की गरिमामयी उपस्थिति से सभी में जोश एवं उत्साह दिखाई दिया। कार्यक्रम के दौरान लेखिका कविता सिंह की नई पुस्तक सत्य पर आधारित उपन्यास “वो लम्हे” का विमोचन आकर्षण का केंद्र रहा।

कार्यक्रम का संयोजन एवं कुशल संचालन फेडरेशन के संस्थापक व नेशनल चेयरमैन भारत सरकार से सम्मानित कवि व लेखक पंडित साहित्य कुमार चंचल ने किया। इस मौके पर संयोजक पंडित चंचल ने बताया कि “शब्दावली दर्पण न्यूज़” का एकमात्र उद्देश्य कलमकारों व रचनाकारों को उनकी सही व सटीक पहचान दिलाने का है। बहुत सारे उच्च कोटि के साहित्यकार केवल स्वान्त: सुखाय के लिए लेखन करते हैं जबकि कुछ मंच के खिलाड़ी प्रसिद्धि हेतु अपनी प्रस्तुति से साहित्य जगत में अपना नाम व दाम कमाते हैं। शब्दावली दर्पण न्यूज़ ने बिना किसी कॉमर्शियल हित के निस्वार्थ भाव से साहित्य उत्थान व समाज हित में प्रसिद्ध रचनाकारों के साथ-साथ छुपी प्रतिभाओं के लेखन को दृष्टिगोचर करने का बीड़ा उठाया है। पंडित साहित्य चंचल ने यह भी बताया कि शब्दावली दर्पण न्यूज़ साहित्य जगत में फैली राजनीति रूपी कुरीतियों से परे अच्छे व सच्चे साहित्यकारों को एक नई दिशा देने व साहित्य की दशा सुधारने का काम करना ही उनका नीर- क्षीर विवेकी प्रयास एक मिसाल कायम करेगा।

इस मौके पर आयोजित बसंती कवि सम्मेलन का शुभारंभ कवित्री सोनम यादव की सरस्वती वंदना से हुआ। देश के विभिन्न क्षेत्रों से शिरकत करने आए कवि व शायरों में अंतरराष्ट्रीय शायर तहसीन मुनव्वर, वरिष्ठ संजीदा शायरा सपना अहसास, जे पी रावत, ताबिश खैराबादी, प्रमोद मिश्रा निर्मल, विनोद शर्मा, स्मिता श्रीवास्तव, सत्य कुमार प्रेमी, उषा श्रीवास्तव उषाराज, कविता सिंह, आकाश पाठक, सीमा सिकंदर, सोनम यादव, सुमित अग्रवाल, नीलम गुप्ता, सतीश दीक्षित, सत्यार्थ दीक्षित, गीता शर्मा, स्वाति शर्मा व मुकेश श्रीवास्तव आदि ने भिन्न-भिन्न रसों पर अपनी प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया।

इस अवसर पर श्रोताओं के अलावा शहर के गणमान्य लोग उपस्थित रहे। अध्यक्षीय आशीर्वाद के पश्चात धन्यवाद ज्ञापन फेडरेशन चेयरमैन पंडित साहित्य कुमार चंचल द्वारा किया गया।पेश है रचनाकारों की कुछ पंक्तियां:

पहले भरत बनोगे तुम, तब जाकर श्री राम मिलेंगे I

— सतीश दीक्षित

बहुत फेरे लगाए तुमने मेरी गली के,

कोई सात फेरे लगा के ले गया।

— नीलम गुप्ता

सुनसान खेत खलिहान में,

हमने देखा किसान को,

फसल की चिंता में भागते हुए,

आधी रात को जागते हुए,

अपना खेत सींचते हुए,

उसे खुद की चिंता नहीं,

क्योंकि वो अन्नदाता है l

— विनोद शर्मा

बन कर तितली, खिले चमन में, यार कभी तुम आओ।

तरह तरह के फूल खिलें हैं, इनपर भी मड़राओ।

देकर रंगत अपनी इनको, भर दो इनमें जान।

तेरे दरश से चमन बना है, मन का रेगिस्तान।

— मुकेश श्रीवास्तव

 

वो आज-कल घर में नहीं, रहता इधर-उधर।

खुशियां मेरे हिस्से की, लुटाता इधर-उधर।।

–सीमा सिकंदर

 

दे रहे है सब अमीरों को बढ़ावा,

बात करता है न कोई मुफलिसी की,

कर दिया इंकार तूने गुल लेने से,

क्या वजह है तू बता दे बेरुख़ी की।

— गीता शर्मा

जाति धर्मों में अभी तक हम सभी जकड़े हुए,

तोड़ दो बंधन सभी ये बेड़ियां रह जाएंगी ।

–सत्य कुमार प्रेमी

दुखों के बोझ ने जिनके क़दम आने से रोके हैं।

सलोने सांवरे को वह हृदय के पास देखेंगे।

— तहसीन मुनव्वर

रख उम्मीद वो दिन भी आएगा, रख उम्मीद वो दिन भी आयेगा।

आज हार गए तो क्या,कल जीत भी दिलवाएगा।

— कविता सिंह

मैं फरिश्ता तो नहीं हुजूर पर रिश्ता जरूर निभा लेता हूं। महंगाई में भी मोहब्बत की दुकान से इतना  जरूर कमा लेता हूं ।।

–पं० साहित्य कुमार चंचल

कुछ इस कदर चांद मुझसे बेअदबी कर बैठा,

मैं अभी इश्क पी ही रहा और वो रुख़्सती कर बैठा।

— स्वाति शर्मा ‘अतुल ‘

जवानों की बदौलत मुल्क में इंसान ज़िंदा है,

हमारी भारती का शीश और ईमान ज़िंदा है,

लिपट कर तुम तिरंगे में कभी आना नहीं भाई,

तुम्हारी रहमतों से आज हिन्दुस्तान ज़िंदा है।

— उषा श्रीवास्तव ‘उषाराज ‘

कर रहा देश रणबांकुरों को नमन,

जिस चमन में खिले उस चमन को नमन,।

जिसकी गोदी में खेले,पले और बढ़े ,

भारती को नमन धारती को नमन।

— सोनम यादव

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